7 Flop Cricketer: इन 7 क्रिकेट खिलाड़ियों से बेहद उम्मीदें थीं, लेकिन बार-बार की चोटों, खराब फॉर्म और दबाव ने उनके करियर को प्रभावित किया। जानिए उनकी असाधारण यात्रा और निराशाजनक अंत के बारे में।
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Toggle7 Flop Cricketer: जो इंटरनेशनल क्रिकेट में नहीं बना पाए अपना नाम
आज के क्रिकेट युग में, जहां टी-20 लीग्स ने अनगिनत नए सितारे उभारे हैं, हर खिलाड़ी के लिए अपनी छाप छोड़ पाना आसान नहीं है। कुछ खिलाड़ी शुरुआत में बेहद होनहार होते हैं, लेकिन चोटें, दबाव या असंगत प्रदर्शन के कारण वे कभी अपनी प्रॉमिस्ड फॉर्म तक नहीं पहुँच पाते। आज हम उन 7 क्रिकेट सितारों की बात करेंगे जिनसे बड़ी उम्मीदें थीं, लेकिन वे अपने करियर में वह मुकाम हासिल नहीं कर सके जो उनसे अपेक्षित था।
1. शेन बॉन्ड (Shane Bond)
न्यूजीलैंड के शेन बॉन्ड ने अपने करियर की शुरुआत से ही क्रिकेट जगत में धूम मचा दी थी। 2001 में डेब्यू करने वाले बॉन्ड की 150 किमी/घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी और घातक स्विंग ने बल्लेबाजों को हैरान कर दिया।
उन्होंने 18 टेस्ट, 82 वनडे, और 20 टी20 खेले और उनकी टेस्ट औसत 22 और वनडे में 20 की औसत से 147 विकेट लिए। बॉन्ड की गेंदबाजी लारा और तेंदुलकर जैसे दिग्गजों के लिए भी सिरदर्द साबित हुई थी। लेकिन लगातार चोटों के कारण वे मैदान से ज्यादा बाहर रहे। पीठ और घुटने की चोटों के कारण उनका करियर बुरी तरह प्रभावित हुआ और 2009 में उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया।
2. शॉन टैट (Shaun Tait)
ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज शॉन टैट को एक समय ग्लेन मैकग्रा के उत्तराधिकारी के रूप में देखा गया था। उनकी स्विंग और यॉर्कर फेंकने की क्षमता ने उन्हें क्रिकेट का उभरता सितारा बनाया। टैट ने 59 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले और 61 विकेट लिए।
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लेकिन उनकी रफ्तार में कमी और बार-बार चोटों ने उनके करियर को प्रभावित किया। 2011 में उन्होंने टेस्ट और वनडे क्रिकेट से संन्यास लिया। टैट का करियर टी-20 फॉर्मेट में भी लंबा नहीं चल सका और उन्हें 2009 IPL में राजस्थान रॉयल्स के साथ खेलने का मौका मिला, लेकिन चोटों के कारण वे एक भी मैच नहीं खेल पाए।
3. पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw)
कभी भारतीय क्रिकेट का अगला सचिन तेंदुलकर कहे जाने वाले पृथ्वी शॉ ने 2018 में अंडर-19 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम की कप्तानी करते हुए धमाल मचा दिया था। उनके टेस्ट करियर की शुरुआत भी शानदार रही, लेकिन चोटें, खराब फिटनेस और लगातार गिरती फॉर्म ने उनके करियर को मुश्किलों में डाल दिया।
2019 में डोपिंग बैन और सपना गिल विवाद के कारण शॉ का करियर और ज्यादा प्रभावित हुआ। शॉ ने पांच टेस्ट मैचों में केवल एक शतक लगाया और उनका वनडे और टी20 करियर भी उतना प्रभावी नहीं रहा। उनकी खराब फॉर्म के कारण भारतीय टीम में उनकी जगह अब संदिग्ध हो गई है।
4. विनोद कांबली (Vinod Kambli)
विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर की 664 रन की ऐतिहासिक साझेदारी आज भी भारतीय क्रिकेट की यादों में जिंदा है। कांबली को एक समय सचिन से भी बेहतर बल्लेबाज माना जाता था। लेकिन 1996 वर्ल्ड कप के बाद उन पर लगे मैच फिक्सिंग के आरोप और फिटनेस समस्याओं ने उनके करियर को बर्बाद कर दिया।
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कांबली ने 17 टेस्ट मैचों में 54 की औसत से 1100 रन बनाए, लेकिन फिटनेस और खराब प्रदर्शन के कारण उनका करियर लंबे समय तक नहीं चल सका। कांबली ने 28 साल की उम्र में अपना आखिरी वनडे खेला और इसके बाद वे टीम से बाहर हो गए।
5. वसीम जाफर (Wasim Jaffer)
वसीम जाफर घरेलू क्रिकेट के दिग्गज माने जाते हैं, लेकिन भारतीय टीम में उनका करियर उतना शानदार नहीं रहा। जाफर ने 31 टेस्ट मैच खेले और दोहरे शतक भी लगाए, लेकिन लगातार गिरती फॉर्म और असंगतता ने उन्हें टीम से बाहर कर दिया।
जाफर को रणजी ट्रॉफी का महानायक माना जाता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वे कभी अपनी छाप नहीं छोड़ सके और 2008 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया।
6. मुनाफ पटेल (Munaf Patel)
मुनाफ पटेल ने अपने शुरुआती करियर में ही अपने तेज गेंदबाजी कौशल से सबको प्रभावित किया। 2011 वर्ल्ड कप में मुनाफ ने 11 विकेट लेकर भारतीय टीम की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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लेकिन बार-बार की चोटों और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण मुनाफ का करियर लंबा नहीं चल सका। उन्होंने 70 वनडे और 13 टेस्ट खेले, लेकिन चोटों ने उनके करियर को प्रभावित किया और वे लंबे समय तक टीम में अपनी जगह नहीं बना पाए।
7. जेपी डुमिनी (JP Duminy)
दक्षिण अफ्रीका के हरफनमौला खिलाड़ी जेपी डुमिनी को टेस्ट और वनडे दोनों में बड़ी उम्मीदों के साथ देखा गया था। डुमिनी ने टेस्ट और वनडे क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन किया, लेकिन उनकी लगातार गिरती फॉर्म और महत्वपूर्ण मैचों में संघर्ष करते हुए सुपरस्टार बनने का मौका खो दिया।
2019 वर्ल्ड कप के बाद डुमिनी ने क्रिकेट से संन्यास ले लिया, और वे कभी उस मुकाम तक नहीं पहुँच पाए जिसकी उनसे उम्मीद थी।
8. एंड्रयू फ्लिंटॉफ (Andrew Flintoff)
एंड्रयू फ्लिंटॉफ को इंग्लैंड का सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर माना जाता था। लेकिन फिटनेस समस्याओं और लगातार चोटों ने उनके करियर को प्रभावित किया। 2009 में फ्लिंटॉफ ने क्रिकेट से संन्यास ले लिया, उनका करियर और लंबा हो सकता था। हालांकि वे इंग्लैंड के बेहतरीन क्रिकेटरों में से एक माने जाते हैं।
इन क्रिकेट सितारों की कहानियां यह बताती हैं कि कभी-कभी असाधारण प्रतिभा भी चोटों, खराब फिटनेस और फॉर्म के कारण अपने चरम तक नहीं पहुँच पाती। चाहे शेन बॉन्ड की तेज़ गेंदबाजी हो या पृथ्वी शॉ की शुरुआती धूम, इन खिलाड़ियों की यात्रा से हमें यही सीख मिलती है कि क्रिकेट में निरंतरता और फिटनेस बेहद महत्वपूर्ण हैं.