झारखंड हाई कोर्ट ने एमएस धोनी को उनके पूर्व बिजनेस पार्टनर्स द्वारा धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए समन भेजा है। जानें पूरा मामला और धोनी का पक्ष।
भारतीय क्रिकेट के महान कप्तान और चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार मैदान से बाहर। झारखंड हाई कोर्ट ने धोनी को समन भेजा है, जिसमें उनके पूर्व बिजनेस पार्टनर्स ने उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है।
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Toggleधोखाधड़ी का मामला कैसे शुरू हुआ?
2017 में एमएस धोनी ने अपने बिजनेस पार्टनर्स मिहिर दिवाकर और सौम्या दास के साथ एक बड़ा करार किया था। इस करार के तहत धोनी के नाम से भारत और विदेशों में क्रिकेट एकेडमी स्थापित करने की योजना थी। इस डील का उद्देश्य था युवा खिलाड़ियों को धोनी की छत्रछाया में क्रिकेट का प्रशिक्षण देना। लेकिन, चार साल बाद, धोनी ने महसूस किया कि उनके साथ धोखाधड़ी की जा रही है और उन्होंने इस करार को 2021 में समाप्त कर दिया।
धोनी का आरोप: 15 करोड़ का वित्तीय नुकसान
धोनी ने इस साल 5 जनवरी को रांची की एक अदालत में दिवाकर और दास के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया। धोनी का आरोप है कि डील खत्म करने के बावजूद, दिवाकर और दास ने उनके नाम से क्रिकेट एकेडमी खोलना जारी रखा, जिससे उन्हें करीब 15 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
दिवाकर और दास का कोर्ट में जवाब
धोनी के खिलाफ आरोप लगने के बाद, मिहिर दिवाकर और सौम्या दास ने झारखंड हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने रांची में न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत द्वारा उनके खिलाफ की गई कार्रवाई को चुनौती दी है। कोर्ट में इस चुनौती के बाद, झारखंड हाई कोर्ट ने धोनी को समन जारी कर उनसे अपना पक्ष स्पष्ट करने का आदेश दिया है।
अब सभी की नजरें इस केस पर टिकी हैं। एमएस धोनी, जिन्होंने अपने करियर में हमेशा अनुशासन और ईमानदारी का उदाहरण पेश किया है, अब कानूनी दांव-पेच में उलझ गए हैं। क्या धोनी अदालत में अपने आरोप को साबित कर पाएंगे, या इस केस में नया मोड़ आएगा?
आपकी इस मामले पर क्या राय है? क्या धोनी को अपने पूर्व बिजनेस पार्टनर्स पर भरोसा करना चाहिए था? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।