आर अश्विन ने खुलासा किया कि गौतम गंभीर की कोचिंग शैली कैसे राहुल द्रविड़ से अलग है। जानें, क्या गंभीर की सहज कोचिंग स्टाइल भारतीय क्रिकेट के लिए सही दिशा है?
भारतीय क्रिकेट टीम के नए दौर में कोचिंग के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। गौतम गंभीर ने टीम की कमान संभालते हुए राहुल द्रविड़ की जगह ले ली है, जिन्होंने भारत को 2024 टी20 वर्ल्ड कप जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अब गंभीर के कोचिंग में कदम रखते ही टीम इंडिया की रणनीति और माहौल में भी कुछ नए बदलाव देखे जा रहे हैं। इस पर आर अश्विन ने हाल ही में खुलासा किया कि कैसे इन दोनों दिग्गजों के कोचिंग स्टाइल में ज़मीन-आसमान का फर्क है।
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Toggleगंभीर की कोचिंग: सरलता में है जादू
मैदान पर हमेशा आक्रामक और जुझारू रहने वाले गौतम गंभीर ने कोच की भूमिका में आते ही अपने स्वभाव का बिल्कुल उल्टा रूप दिखाया है। आर अश्विन के मुताबिक, गंभीर का कोचिंग स्टाइल बेहद सरल और रिलैक्स्ड है। अश्विन ने उन्हें मज़ाक में ‘रिलैक्स्ड रैंचो’ तक कह दिया।
अश्विन ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा –
“गंभीर मैदान पर जितने आक्रामक थे, कोच के तौर पर उतने ही सरल और सहज हैं। वह खिलाड़ियों को आज़ादी देते हैं, जिससे टीम पर दबाव कम होता है और खिलाड़ी खुलकर खेलते हैं”
गंभीर का यह शांत और ठंडा स्वभाव भारतीय टीम के लिए ताजगीभरा साबित हो सकता है। उनके इस तरीके से खिलाड़ियों को मानसिक तौर पर आराम मिलता है, जो मैदान पर प्रदर्शन के दौरान दिखता है।
द्रविड़ का अनुशासनप्रिय दृष्टिकोण
वहीं दूसरी ओर, राहुल द्रविड़ के कोचिंग स्टाइल की बात करें तो वह हमेशा से अनुशासन और कड़े नियमों के लिए जाने जाते रहे हैं। द्रविड़ का दृष्टिकोण योजनाबद्ध और व्यवस्थित होता है, जहां हर चीज़ अपने समय पर और सही तरीके से होनी चाहिए। द्रविड़ के अनुशासनप्रिय दृष्टिकोण ने भारत को कई बड़ी सफलताएं दिलाईं, लेकिन कभी-कभी यह कठोरता खिलाड़ियों पर दबाव बना सकती थी।
गंभीर की सफलता की शुरुआत
गंभीर के लिए कोच के रूप में शुरुआत अच्छी रही है। उन्होंने पहले ही बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट मैच में 280 रनों से जीत दिलाई। हाल ही में उनकी कोचिंग में टीम ने श्रीलंका के खिलाफ टी20 सीरीज में भी जीत हासिल की थी। गंभीर का ये सरल लेकिन प्रभावी दृष्टिकोण टीम इंडिया के लिए एक नया रास्ता दिखा रहा है, खासकर तब जब वे अगले मुकाबलों में न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी बड़ी टीमों से टकराने जा रहे हैं।
क्या गंभीर की कोचिंग शैली होगी कामयाब?
गंभीर का शांत और रिलैक्स्ड स्टाइल भारतीय टीम के लिए एक नई दिशा हो सकता है। एक समय में जहां टीम को अनुशासन और कड़े नियमों की जरूरत थी, वहीं अब खिलाड़ियों को थोड़ा खुलकर खेलने का मौका मिल रहा है। गंभीर का यह तरीका टीम के युवाओं को अपनी क्षमता दिखाने का अवसर दे सकता है।
आप क्या सोचते हैं? क्या गौतम गंभीर का यह सरल और सहज कोचिंग स्टाइल टीम इंडिया को अगले स्तर तक पहुंचा सकता है? या फिर राहुल द्रविड़ का अनुशासन ही सही रास्ता था? हमें आपके विचार जानने में खुशी होगी!