गाबा में 32 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ते हुए टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर क्रिकेट इतिहास में एक नई इबारत लिखी। जानिए इस रोमांचक जीत की पूरी कहानी!
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Toggleगाबा में टूटा कंगारुओं का घमंड
गाबा का मैदान, जहां ऑस्ट्रेलिया ने पिछले 32 सालों से एक भी टेस्ट मैच नहीं हारा था, वह मैदान अब भारतीय क्रिकेट इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो चुका है। टीम इंडिया ने उस गढ़ को भेदकर न सिर्फ मैच जीता, बल्कि एक पूरी सीरीज़ भी अपने नाम की। यह कहानी सिर्फ क्रिकेट मैच की नहीं है, बल्कि जुनून, जज़्बा, और अदम्य हौसले की है।
पृष्ठभूमि: हार और हताशा
सब कुछ तब शुरू हुआ जब भारतीय टीम पहले टेस्ट मैच में सिर्फ 36 रन पर ऑल-आउट हो गई। क्रिकेट के इतिहास में भारत का यह सबसे न्यूनतम स्कोर था। इस हार के बाद टीम की कड़ी आलोचना हुई, और हर कोई कहने लगा कि अब भारतीय टीम का मनोबल टूट चुका है। कुछ तो यहाँ तक कहने लगे कि टीम इंडिया सीरीज़ में एक भी मैच नहीं जीत पाएगी।
गाबा: इतिहास लिखने का अवसर
जब भारतीय टीम गाबा पहुंची, तो वह घायल शेरों की तरह थी। टीम के आधे से ज्यादा खिलाड़ी चोटिल थे। हनुमा विहारी, जसप्रीत बुमराह, और रविचंद्रन अश्विन जैसे महत्वपूर्ण खिलाड़ी टीम से बाहर थे। कप्तान अजिंक्य रहाणे के सामने बड़ी चुनौती थी—एक कमजोर टीम और कंगारुओं के गढ़ में 32 साल पुरानी अजेयता को तोड़ना।
पहला दिन: कंगारुओं का पलड़ा भारी
ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए तेज शुरुआत की। मोहम्मद सिराज और शार्दुल ठाकुर ने शुरुआत में ही दो विकेट लेकर ऑस्ट्रेलिया को झटका दिया। लेकिन कप्तान टिम पेन और कैमरून ग्रीन ने संभलकर खेलते हुए टीम को 300 के पार पहुंचा दिया। पहले दिन का खेल खत्म होते-होते ऑस्ट्रेलिया की स्थिति मजबूत थी, और भारतीय टीम के पास एक ही विकल्प था—आक्रामक गेंदबाजी।
दूसरा दिन: संघर्ष और संतुलन
दूसरे दिन का खेल शुरू होते ही ऑस्ट्रेलिया ने अपना स्कोर 371 रन तक पहुंचा दिया। भारतीय गेंदबाजों ने खासतौर से शार्दुल ठाकुर और वॉशिंगटन सुंदर ने आखिरी विकेटों को तेजी से समेटा, जिससे ऑस्ट्रेलिया एक बड़े स्कोर की ओर नहीं बढ़ पाया। इसके बाद, जब भारतीय टीम बल्लेबाजी करने उतरी, तो शुरुआती झटकों ने टीम की मुश्किलें और बढ़ा दीं। रोहित शर्मा और शुभमन गिल जल्दी आउट हो गए, और टीम इंडिया संघर्ष करती नजर आई।
तीसरा दिन: वापसी की शुरुआत
तीसरे दिन भारतीय टीम ने अपनी पकड़ मजबूत करनी शुरू की। ऋषभ पंत और चेतेश्वर पुजारा ने मिलकर एक मजबूत साझेदारी बनाई, जिससे टीम को बढ़त मिली। लेकिन बीच-बीच में विकेट गिरने से भारतीय टीम पर दबाव बना रहा। इसी दिन शार्दुल ठाकुर और वॉशिंगटन सुंदर ने बल्लेबाजी में अपनी प्रतिभा दिखाई। दोनों ने मिलकर 100 रनों की साझेदारी की और टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचाया। दिन खत्म होते-होते टीम इंडिया सिर्फ 54 रन पीछे थी।
चौथा दिन: अंतिम तैयारी
चौथे दिन ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी की शुरुआत अच्छी रही। लाबुशेन और स्टीव स्मिथ ने भारतीय गेंदबाजों को शुरुआती ओवरों में परेशान किया। लेकिन, सिराज और शार्दुल ठाकुर ने आक्रामक गेंदबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख बल्लेबाजों को पवेलियन वापस भेजा। सिराज ने अपनी पहली पांच विकेट लेकर ऑस्ट्रेलिया को 294 रनों पर रोक दिया। अब भारतीय टीम के सामने 328 रनों का लक्ष्य था, जो कि गाबा की पिच और वहां के हालात को देखते हुए काफी चुनौतीपूर्ण था।
पाँचवाँ दिन: अभूतपूर्व जीत की पटकथा
पाँचवें दिन का खेल शुरू होते ही शुभमन गिल ने आक्रामक शुरुआत की। उन्होंने कंगारुओं की गेंदबाजी को बखूबी संभाला और पुजारा के साथ मिलकर अच्छी साझेदारी की। गिल के आउट होने के बाद पुजारा ने अपनी दीवार जैसी बल्लेबाजी जारी रखी। उन्हें लगातार गेंदें शरीर पर लगीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। जब पुजारा भी आउट हो गए, तब मैदान पर उतरे ऋषभ पंत। उन्होंने आते ही अपने चिर-परिचित अंदाज में बल्लेबाजी की। आक्रामक शॉट्स और बेहतरीन रनिंग बिटवीन द विकेट्स से पंत ने टीम इंडिया को जीत के करीब ला दिया।
अंतिम ओवर और विजयी क्षण
मैच के अंतिम क्षणों में जब टीम इंडिया को जीत के लिए सिर्फ 10 रन चाहिए थे, वॉशिंगटन सुंदर आउट हो गए। लेकिन पंत ने धैर्य बनाए रखा और मैच के आखिरी ओवर में चौका लगाकर भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाई। 32 साल पुराना गाबा का अजेय रिकॉर्ड टूट चुका था। टीम इंडिया ने कंगारुओं के गर्व को गाबा की धरती पर ही चकनाचूर कर दिया।
यह जीत सिर्फ एक मैच की जीत नहीं थी, यह भारतीय क्रिकेट का गौरव था। इस जीत ने यह साबित कर दिया कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी मुश्किल क्यों न हों, अगर हौसला बुलंद हो और जुनून हो, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। गाबा में टीम इंडिया की जीत ने यह संदेश दिया कि असंभव कुछ भी नहीं है।